इस बदलते ज़माने का,
अजीब ही लगता है हाल !
हर इंसान काटने में लगा है..
जिस पर बैठा है वही डाल !!
क़यामत अब न आई,
तो कब आएगी..
हालात देख कर,
शर्म को भी शर्म आएगी..!!
लोग खुद अपने आस्तीनों में,
सांप छुपाने लगे हैं.!
ज़रा देखो तो--
मय्यतों में भी...
आदमी किराए पर आने लगे हैं..!!
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वक़्त के साथ इंसान ने कितनी तबाही मचाई
ReplyDeleteकहा धरती को उजाड़ के चाँद को बसायेंगे
पर समंदर भी लेगा जब अपनी एक अंगड़ाई
तो क्या बसायेंगे चाँद, खुद को इसी धरती पे गिरे पाएंगे
hmm good one Rakesh sir...
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