अकसर मेरा दिल ---
मुझे शांत रहने को कहता है ,
खुद में ही खो जाऊं..
ऐसा मेरा मन भी होता है !
पर कुछ तो है तुम में
जिस कारण हमेशा ये
सिर्फ तुमसे बातें करना चाहता है
हर वक़्त इसे तेरा इंतज़ार रहता है
तुम नहीं होती हो तो
तुम्हें ढूंढता रहता है
जब तुम आती हो तो
कभी शांत न बैठता है
कुछ तो है तुम में
जो अकसर इसे हंसा जाता है
तुम सिर्फ पास बैठी रहो
तुम सिर्फ पास बैठी रहो
बस ये खुश हो जाता है
मन चंचल है। इसकी चाहत की भी सीमा नहीं...एहसासों में जीता है। अच्छी लगी
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
कविता अच्छी लगी धन्यवाद|
ReplyDeleteपर कुछ तो है तुम में
ReplyDeleteजिस कारण हमेशा ये
सिर्फ तुमसे बातें करना चाहता है
हर वक़्त इसे तेरा इंतज़ार रहता है'''
"kuchh" nahee janab, bahut kuchh hai jo aapki panktiyon men chhipa huaa hai. kafee prabhavee shabd hain
aap logon ke utsaah aafjaahi ka bahut bahut shukriya...
ReplyDeletemujhe aaplogon se likhne ki prerna milti rahegi...
बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
गुलाबी अहसासों की बानगी - कम शब्दों में सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी अभिव्यक्ति ...शुभकामनाएं
ReplyDelete