Thursday 16 September 2010

"वक़्त..!!"

एक सबसे बड़ा बहरूपिया देखा मैंने ...
ये चलता रहता है, कभी रुका नहीं अपने जीवन में
न जाने कितने युगों का वो, बस अकेला साक्षी है
वही तो है, जो भूत और भविष्य का ज्ञानी है
बस वही एक शाश्वत सत्य है
किसी के पास रहता है, अभिशाप की तरह और
किसी के पास रहता है, एक वरदान की तरह
कौन है जो इसे पकड़ पाया है..
इसके आगे तो भगवान ने भी शीश झुकाया है
वही है जो सब में चलते रहने की शक्ति देता है
और रिश्तों के हर घाव को भी भर देता है
कभी ये बिताये नहीं बीतता है और
कभी कोई इसका इंतज़ार भी करता है
कभी ये अच्छा होता है कभी ये बुरा होता है
पर सबके पास ये, उसका अपना होता है
ये हर किसी को उसके करनी का फल देता है
हाँ, ये वही है---
जिसे हम वक़्त, तो कोई समय और पल कहता है !!
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2 comments:

  1. sahi hai... jitnaa chhota naam utne bade kaam...
    Well written...

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  2. पूजा जी !! आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...

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"हक़...!!!"

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