मेरी चांदनी..
तेरे चेहरे की खिलती हंसी देख...,
सुबह आज हसीन दिख रही है !
तेरी जुल्फों में फंसा वो पानी का बूँद ,
तेरी जुल्फों में फंसा वो पानी का बूँद ,
जैसे ओंस की तरह चमक रही है !
अपनी नज़रों से यूँ न देखो मुझे ,
अपनी नज़रों से यूँ न देखो मुझे ,
कि एक अजब सी मदहोसी छा रही है !
तेरे आँचल को तुमने कुछ यूँ लहराया ,
तेरे आँचल को तुमने कुछ यूँ लहराया ,
कि बसंती हवा की बयार चल रही है !
अपने कदम संभाल कर तुम चलना ,
अपने कदम संभाल कर तुम चलना ,
वरना तेरी चाल पर हम बेमौत मारे जायेंगे !
आज तेरी तारीफ़ मैंने चाँद से कुछ यूँ की ,
आज तेरी तारीफ़ मैंने चाँद से कुछ यूँ की ,
कि वो तेरे दीदार को बेचैन हो गया...!
तुम आज रात पर्दा करके बाहर निकलना ,
तुम आज रात पर्दा करके बाहर निकलना ,
नहीं तो चाँद की नज़र 'मेरी चांदनी' को लग जाएगी....!!!!
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आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
vabdana ji aapka bahut bahut aabhar...
ReplyDeletehar 'do lina' pyar ka ijhar kar raha hai.
ReplyDeleteआज चांद से तेरी तारिफ यूं कि
ReplyDeleteवोह तेरे दिदार को बैचेन हो गया
बहुत अच्छा रूमानी ख्याल