दोस्त..
यूँ तो आइना रोज़ देखता हूँ ,
अपने चेहरे को रोज़ सवांरता हूँ ...
रोज़ वही शख्स दिखता है आईने में ,
कुछ खोया हुआ सा अपने ख्यालों में !
पर आज अचानक ऐसा लगा मानो --
आईने ने मुझे देखा हो पहली बार ...
अपने ही अक्स को देखकर मैं घबराया ...
खुद को अपने ही सामने बेबस पाया !
कुछ ऐसी भूली हुई तस्वीरें दिखीं...
भावनाएं फिर मुझसे ना छुपीं ,
रो पड़ा मैं उसी वक़्त कि ,
सारी तस्वीरें गीली हो चलीं ...
जिनका भी साथ जीवन में पाया ,
साथ जिनके मैंने समय बिताया ...
जाने कहाँ खो गए वो संगे - साथी ,
मैं उनसे दूर राह पर निकल आया !
मुझे माफ़ करना मेरे दोस्तों कि--
मुझे माफ़ करना मेरे दोस्तों कि--
समय ने मुझे कुछ ऐसे दौड़ाया ....
तुमसे एक बार दुबारा मिल सकूँ ,
इसका भी मैंने आस गवांया !
अब तक का सफ़र हुआ सुखद ....
है शुक्रिया तुम सभी का ....
जिसने भी इस जीवन पथ पर ---
है मेरा साथ निभाया ....!!
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