Thursday 26 May 2011

"माँ...!!!"


कितना  खुश  था  मैं  माँ
जब  मैं  तेरे  अन्दर  था  माँ
इस  दुनिया  से  बचाकर  कर  रखा  था  तुमने
कितने  प्यार  से  पाला  था  तुमने

कुछ  भी  तो  नहीं  कहा  था  मैंने
चुपचाप  तेरे  अन्दर  सोया  था  मैं  माँ
तेरे  गोद  में  एक  शुकून  था
जाने  वो  अब  कहाँ  खो  गया  है  माँ

तेरे  गर्भ  में  उस  अन्धकार  में  भी
एक  अजब  सी  शान्ति  थी  माँ
याद  है  न ----
इस  दुनिया  के  प्रकाश  में  आते  ही
पहली  बार  मैं  रोया  था  माँ
वो  तुझसे  अलग  होने  का  दर्द  था  माँ

अभी  भी  तलाशता  हूँ  इस  दुनिया  में
तेरे  आँचल  की  छाओं  का  वो  शुकून  माँ
पर  सर्वत्र  अलसाई  अन्धकार  ही  व्यापत  है  माँ
शायद  भगवान्  ने  तेरी  गोद  की  तरह
दूसरी  कोई  जगह  नहीं  बनाई  है  माँ

सुना  है  तुझसे  जुदा  होते  ही
खुदा  ने  मेरी  मौत  का  वक़्त  मुकरर  किया  था
अब  तो  बस  उस  वक़्त  का  इंतज़ार  है  माँ
जब  मैं  फिर  से  तेरे  गोद  में  शमा  जाऊं  माँ
फिर  से  वो  छाँव  और  वो  शुकून  पाऊं  माँ
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Monday 23 May 2011

"चाय..!!"


चाय तो बहुत लोग पीते हैं
पर जब तुम पीती हो
तो बात ही कुछ और है
दोनों हाथों से प्याले को
पकड़कर जब तुम उसे
चूमती हो ----
तो वो सुर-सुराहट की आवाज़
मेरे कानों ने मिठास घोल देती है
चाय को अपने साँसों से
जब तुम फूंकती हो
तो बंद कमरे में सर-सराहट होती है
और माहौल में एक ताजगी घुल जाती है
तुम्हारे साथ चाय पीते वक़्त
कई बार ये ख्याल मन में आया ---
काश तुम मुझे भी अपने होठों से चूमती
अपने साँसों की हवा से स्पर्श करती
अगर कमबख्त चाय की जगह
मैं उस प्याले में होता...

Tuesday 10 May 2011

"झूठे चेहरे..!!"



न जाने कितने चेहरे लगा कर रखते हैं लोग
रोज़ एक नया रूप अपना दिखाते हैं लोग 
किसी को पूरी तरह से समझ सको तुम 
इससे पहले ही अक्सर बदल जाते  हैं लोग 

सच के साथ चलना अब भूल चुके हैं लोग
एक झूठ छुपाने को दस और चेहरे लगते हैं लोग 
किसी दुसरे की हालत पर बाण चलाकर
खुश रहना ही अब जानते हैं लोग 

क्यों अपने अहम् पर अहंकार करते हैं लोग 
दस दोस्तों के साथ दस जिंदगी जीते हैं लोग 
कहीं पकडे न जाएँ इस डर से शायद 
फिर एक झूठ बोल जाया करते हैं लोग
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Tuesday 3 May 2011

"शहर..!!"



शहर - अब मैं चलता हूँ
दूर किसी और शहर में
नया आशिआना बसना है
नए मुशाफिर से मिलना है

महफ़िल में दोस्तों की
तेरा जिक्र तो जरुर होगा
तेरी वो हवा, वो खुशबू
यादों में छुएंगी मुझे

तेरे साथ गुज़ारे वो दिन
याद बनाकर रखूँगा  मैं
तेरी राहों पर छोड़ी हैं
मैंने अपने कुछ निशाँ
कभी मिटने ना  देना
उसे अपने दामन से
जिंदगी ने यदि मौका दिया
तो फिर आऊंगा तेरे पास
मैं इन यादों के पन्नों को पलटने
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...