Thursday 26 May 2011

"माँ...!!!"


कितना  खुश  था  मैं  माँ
जब  मैं  तेरे  अन्दर  था  माँ
इस  दुनिया  से  बचाकर  कर  रखा  था  तुमने
कितने  प्यार  से  पाला  था  तुमने

कुछ  भी  तो  नहीं  कहा  था  मैंने
चुपचाप  तेरे  अन्दर  सोया  था  मैं  माँ
तेरे  गोद  में  एक  शुकून  था
जाने  वो  अब  कहाँ  खो  गया  है  माँ

तेरे  गर्भ  में  उस  अन्धकार  में  भी
एक  अजब  सी  शान्ति  थी  माँ
याद  है  न ----
इस  दुनिया  के  प्रकाश  में  आते  ही
पहली  बार  मैं  रोया  था  माँ
वो  तुझसे  अलग  होने  का  दर्द  था  माँ

अभी  भी  तलाशता  हूँ  इस  दुनिया  में
तेरे  आँचल  की  छाओं  का  वो  शुकून  माँ
पर  सर्वत्र  अलसाई  अन्धकार  ही  व्यापत  है  माँ
शायद  भगवान्  ने  तेरी  गोद  की  तरह
दूसरी  कोई  जगह  नहीं  बनाई  है  माँ

सुना  है  तुझसे  जुदा  होते  ही
खुदा  ने  मेरी  मौत  का  वक़्त  मुकरर  किया  था
अब  तो  बस  उस  वक़्त  का  इंतज़ार  है  माँ
जब  मैं  फिर  से  तेरे  गोद  में  शमा  जाऊं  माँ
फिर  से  वो  छाँव  और  वो  शुकून  पाऊं  माँ
----------*----------

12 comments:

  1. बहुत संवेदनशील सोच ...




    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  2. शुक्रिया .. और मैंने वर्ड वेरिफ़िकतिओन भी हटा दिया है .. :)

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  3. अभी भी तलाशता हूँ इस दुनिया में
    तेरे आँचल की छाओं का वो शुकून माँ
    पर सर्वत्र अलसाई अन्धकार ही व्यापत है माँ
    शायद भगवान् ने तेरी गोद की तरह
    दूसरी कोई जगह नहीं बनाई है माँ

    हृदयस्पर्शी शब्द .. निशब्द करती कविता

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  4. दिल को छू लेने वाले भाव .सुन्दर कविता.

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  5. Very Nice incomparable
    From
    Anand Mohan Pandey

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  6. heart toching &very impresive

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  7. incrediable think wrote in this kavita.

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  8. this one is d best sir......i dont hv words...

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  9. I got tears in my eyes. Itni gahrai hai is kavita me ki merepas shabd nahi hai.

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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...