Thursday 30 June 2011

"२५ पैसा..!!"

२५ पैसा हाँ----
इसे जब भी याद करता हूँ तो 
याद आती है वो प्यारे बचपन के दिन
गणित के सवाल,
स्कूल का गेट और टिफिन 
वो बर्फ की लाल आइसक्रीम 
और वो काली चूरन...
२५ पैसे का एक गोलगुप्पा
एक चाकलेट और दोस्तों से  मारामारी
वक़्त के साथ आज पैसा भी बूढ़ा हो गया
शायद इसलिए लोगों ने इसे किनारा कर दिया
और वो समय आ गया जब इसके मरने पर 
सरकार ने इसे आज दफना दिया ..
दी थीं कई खट्टी-मीठी यादें इस २५ पैसे ने
जो रह रह कर करा जाएँगी अपने ना होने का एहसास....
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...