एक ख़ामोश रात में
तनहा दोस्तों से दूर
आखें बंद कर एक बार
सोचा तुमको मैंने...
ये अकेली ख़ामोश रात
और आखों से निकलते
वो ख़ामोश आँसूं-
एक ख़ामोश सी चाहत
कि काश तुम पास होती...
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तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो तो शायरी में जो मोहब्बत है, उसे ज़िंदा कर दूँ.... हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...
सुमन सौरभ जी सुन्दर रचना छोटी सी क्षणिका ने अजब मंजर ...होता है ये विरह जुदाई और प्यार के वे पल...
ReplyDeleteभ्रमर ५
और आखों से निकलते
वो ख़ामोश आँसूं-
एक ख़ामोश सी चाहत
Thank you Surendra Ji...
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