Friday 13 July 2012

"बेजान गुलशन..!!"


वो कहते हैं  कि अब वहां विराना होता है
पहले जहाँ कभी महफिल सजती थी
महखाने से भी ज्यादा जहाँ शोर होता था
वहां अब शमशान से भी ज्यादा खामोशी रहती है 
गवाह हैं वहां की दीवारों में कैद आवाजें 
कि कभी हम वहां गुनगुनाया करते थे 
हवाएं भी चलती थी, तो गीत गाती सी
अब सन्नाटा संग लिए कानो से गुजरती है
खिड़की से झांकती तो अभी भी हूँ
पर तुम नहीं दिखते हो रास्ते पर 
फूल तो खिलते हैं गुलशन में 
पर वो कहती है ----- 
खुशबू फिजाओं से गायब है 
आ जाओ तुम फिर से यहाँ 
कि रह-रह कर तेरी याद आती है
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Saturday 16 June 2012

"आखरी बार..!!!"


आखरी बार जाने से पहले 
तुम मुझसे मिल ही लो
वो सारी बातें, वो शरारतें 
कि ज़िन्दगी फिर से जी लो
आज रात ये मद्धम मद्धम हवा 
चांदनी को गोद में ले उड़ रही है
चाँद हंस रहा है उनकी अटखेलियों पर
काश अभी तुम मेरे गलियों से गुजरती 
हाथ पकड़ खिंच लेता तुम्हें बाहों में 
तेरे स्पर्श  को महसूस करता 
कि इस रात के हसीन होने का 
एक मतलब बनता...!!!!
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Tuesday 12 June 2012

"दिल्ली में पानी..!!!"



दिन का पारा ४० पार
पानी को लेकर हाहाकार
सरकार है सोयी 
और जनता परेशान
नेता आता और कहकर 
चला जाता कि
पानी आएगा २४ घंटे में 
फिर न आता पानी और 
ना ही आती कोई मदद
कुछ चैनल वाले 
रोज दिखाते 
पानी को लेकर 
पड़ोसिओं की तकरार
कब जागेगी ये सरकार 
कब बनेगी जनता होशियार 
और कब बनेगा मेरा भारत महान..!!!
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Wednesday 9 May 2012

" खामोश मूर्ति..!!"



एक फ़साना शुरू होने से पहले ही,
जाने क्यूँ तू मुझसे रूठ गयी
सोचा था कुछ दूर साथ चलेंगे,
उससे पहले ही तुम चुप हो गयी 
अब तो बस  खामोश हूँ...
खड़ा हूँ किसी मूर्ति की तरह
मौसम आते हैं... मुझे छू कर गुजर जाते हैं.!!!!
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Saturday 31 March 2012

"बारिश..!!"


बारिश की वो पहली बूँद जब पलकों पर गिरी
तेरी पहली छुअन का मेरे मन को एहसास हुआ
तेरे साथ जो गुजारे थे वो खुबसूरत पल 
हर क्षण में उसकी भूली हुई सी याद के भंवर में घूमता रहा
जाने वो कौन सी मनहूस घड़ी थी
मेरे आगोश से तुझे जुदा कर गयी...
आज भी सावन की पहली बूंदों में 
तेरी ताज़गी को महसूस करता हूँ
यही सोच कर अक्सर मैं ---
बारिश में अकेला ही भीग लेता हूँ....
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Sunday 18 March 2012

"साथ..!!"


तुम लाख खाओ शहद और मिठाई
मेरे इश्क से मीठा कुछ भी नहीं 
मुझसे बेहतर कोई तुम्हें
हमसफ़र न मिलेगा....
थक जो जाओ तुम इस सफ़र में
शुकून देने वाला ऐसा कन्धा न मिलेगा 
मैं जो अगर होता तेरे पास 
तो तेरी बात ही कुछ और होती 
महफ़िल में रंग तुमसे जमता 
फिर हर शाम तेरी हसीन होती
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Monday 20 February 2012

"अनिश्चित..!!"



कुंवारी नींद जब चल कर आती है
आखें बन जाती हैं मेरी स्वप्न नयना 
कौन जाने कल सवेरा हो न हो 
इस संसार में है निश्चित कुछ भी नहीं
सिर्फ अनिश्चित है, निश्चित हर क्षण में यहाँ
ये तो पता नहीं कि हम फिर मिलेंगे 
अभी का ये वक़्त हैं अपना लो मुझे 
देख लो आज चाँद को आसमान में 
कौन जाने कल ये रात हो न हो
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Friday 10 February 2012

"दीदार..!!"



कल देखा था तुम्हें मुस्कुराते हुए
इसी जगह पर कहीं
फूल खिले थे चमन में
तेरे चहकने से यहीं 

तेरा रूप देखा तो 
मेरे दबे हुए ख्यालों को 
एक मुकाम मिल गया

बरसों से नहीं सोया था
इस थके आखों को 
एक सहारा मिल गया 

सामने तो तू अब है नहीं
सपने में मिलने का 
एक बहाना मिल गया

आशिकी की नहीं है मैंने 
पर तेरा दीदार
मुझे दीवाना बना गया
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Saturday 21 January 2012

"इश्क..!!"


एक इश्क है दुनिया में 
जो दौलत से नहीं मिलती 
कहने को तो दुनिया में 
बाज़ार हजारों हैं
इस हुस्न की दुनिया में 
दिलदार हजारों हैं
एक तुम्ही को हमने 
इस दिल में बसाया है
कहने को तो दुनिया में 
दिलदार हजारों हैं
मैं देख चूका हूँ ये
इस आज की दुनिया को
मारे हुए मतलब के
यार हज़ारों हैं...
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...