Friday 10 February 2012

"दीदार..!!"



कल देखा था तुम्हें मुस्कुराते हुए
इसी जगह पर कहीं
फूल खिले थे चमन में
तेरे चहकने से यहीं 

तेरा रूप देखा तो 
मेरे दबे हुए ख्यालों को 
एक मुकाम मिल गया

बरसों से नहीं सोया था
इस थके आखों को 
एक सहारा मिल गया 

सामने तो तू अब है नहीं
सपने में मिलने का 
एक बहाना मिल गया

आशिकी की नहीं है मैंने 
पर तेरा दीदार
मुझे दीवाना बना गया
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