Sunday 11 August 2013

"घर बुलाता है...!!!"



तब ...
घर से जब बाहर निकलता था
कब दोपहर हुई ...कब शाम हुई
रात ने कब घेरा पता ही नहीं चलता था
और वापस लौटना ही भूल जाता था
तब ...
माँ की आवाज़ आती ...
बेटा रात बहुत हो गयी .. घर आ जा ..
मानो घर खुद शाम में
मुझे ढूंढ़ कर वापस बुला रहा हो…

अब...
घर से जब बाहर निकलता हूँ ...
दोपहर होती है .. शाम होती है… 
रात की अंधियारी अपने आगोश में लेती है… 
और अक्सर भटक जाता हूँ .... 
क्यूंकि ...
ना अब घर मुझे ढूंढ़ता है ..
और ना ही कोई आवाज़ बुलाती है… 
----------*----------

4 comments:

  1. Bahut Badhiya.Iskeye kehta hun saadi kar le...

    ReplyDelete
  2. bahut sundar rachana....!!!

    ReplyDelete
  3. आपने तो बचपन याद दिला दी ...

    ReplyDelete

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...