एक तुम थे, जो तुम पर ही रह गए...
हम भी कुछ कम नहीं थे
ज़िद्द तो हमने भी की थी..
और हम भी, हम पर ही रह गए ...
अब देखो... ये क्या हुआ
न तुम हारे.. न मैं हारा...
पर जीता भी तो कौन
ये दूरियाँ जीतीं....
और इतनी लम्बी जीतीं कि
अब न तेरी आवाज़ आती है....
न ही तुम मुझे सुन पाती हो....
रोशनी भी कुछ कम हो रही है
साये गहरा रहे हैं
एक ख़ामोशी चुपके से
इस अँधियारे ज़िन्दगी में
छा रही है
दूरियाँ बढ़तीं जा रही हैं...
फिर भी ज़िद्द है दोनों को अभी भी...
न तुम , तुम से हट रहे हो...
न हम , हम से हट रहे हैं...
ना जाने ये ज़िद्द क्यों है…
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Bahut khoob suman
ReplyDeleteIs jeed me bhi kuch khas hai
Ik apnapan sa ahshash hai
Ye jeed to ab yu hi chalti rahegi
Jab tak ye ahshash baki rahegi
Wah wah kya bat
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