Thursday 22 January 2015

"मैं...!!"

मैं और मेरे अंदर का मैं
मारता हूँ पल पल एक मैं को
न जाने फिर भी
ज़िन्दा हैं  कितने मैं
ज़िन्दा हैं अभी भी
मेरे अंदर मेरा मैं
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1 comment:

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...