Sunday 18 December 2016

"तारीफ़ें..!!!"

वो मुझसे कहते हैं
तुम क्या देख लेते हो मेरे चेहरे में
जो तारीफ़ें करते  हो इतनी मेरी
आईना तो मैं भी रोज़ देखती हूँ
मुझे तो कुछ अलग नहीं दिखता
मैंने कहा ---
आइना तो ले आये हो तुम बाज़ार से
पर देखने के लिए मेरी नज़र कहाँ से लाओगे
एक बार मेरी नज़रों में नज़र मिलाकर देख लो
तुम्हारे सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा।।।। 
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Sunday 28 August 2016

"तुम...!!"

मुर्दों के इस शहर में
ज़िंदा इंसान कहाँ से खोजूं...
हर चेहरे पर मतलब का नक़ाब है
तेरा चेहरा ही सच्चा है......
इंतज़ार-ए -दीदार में हर वक़्त रहता हूँ...
बस तेरी मेहरबानी कभी कभी होती है..
तुम जो कभी कभी मिलते हो...
मुस्कुराता  हूँ तुझे देख कर...
मुझे जिंदा कर देती हो... तुम !!!!
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Monday 22 February 2016

"तू...!!"

मैं तुम्हें नहीं पूजता
पर जिसे मैं पूजता हूँ
वो तुम्हें मानती है
मेरे खुद के रहने का घर नहीं
पर तेरे  लिए एक जगह ढूंढता हूँ
क्या करूँ मैं अपनी माँ को मानता हूँ...
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...