Sunday 28 August 2016

"तुम...!!"

मुर्दों के इस शहर में
ज़िंदा इंसान कहाँ से खोजूं...
हर चेहरे पर मतलब का नक़ाब है
तेरा चेहरा ही सच्चा है......
इंतज़ार-ए -दीदार में हर वक़्त रहता हूँ...
बस तेरी मेहरबानी कभी कभी होती है..
तुम जो कभी कभी मिलते हो...
मुस्कुराता  हूँ तुझे देख कर...
मुझे जिंदा कर देती हो... तुम !!!!
----------*----------

No comments:

Post a Comment

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...