Tuesday 8 August 2017

"कैसी होती है ज़िन्दगी..!!!"

कैसी होती है ज़िन्दगी
कुछ होने से पहले सब सामान्य चलता है
बातें , कदम- ताल , कहकहे, अपने - पराये
कैसी होती है ज़िन्दगी
एक शख्स मरता है
किसी की सनक की वज़ह से
कैसी होती है ज़िन्दगी
एक बच्चा भूखा सोता है माँ की पेट में
गरीब है उसकी माँ इसलिए
कैसी होती है ज़िन्दगी
ये इंसानियत है - मतलबों से भरा हुआ
खुद के लिए, औरों के लिए, तब भी - अब भी
कैसी होती है ज़िन्दगी ||
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Wednesday 21 June 2017

"अकेला..!!!"

ऐसे अकेले हो गया है ये
कि किसी की ख़ुशी में भी
खुद को शामिल नहीं कर पाता
मानो एक अलग सी
दुनिया बसा ली हो इसने
कोई  खोजने वाला भी नहीं है
फिर भी छुप कर कहीं बैठा है
एक कोने में इस वीराने में
जाने किससे डरा हुआ है
जाने क्या ये खोजता है
चाहतें सारी खो गयी इसकी
उमंगें न कोई ज़िंदा हैं
कटता तो एक पल भी नहीं है
फिर भी मानो
लगता है सदियों से इस वीराने में हैं
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Tuesday 20 June 2017

"पीली धूप और वो ..!!!"


उस पीली धूप में जब तुम
पीले सलवार में चलती थी
पीले दुपट्टे में जब.........
तेज़ रौशनी से खुद के
चेहरे को छुपाती थी
याद है मुझे आज भी
जब उस लम्बी सुनसान काली सड़क पर
तुम अकेले इठलाती हुई
अपने घर को जाया करती थी  ||
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Thursday 16 March 2017

"ख़ामोश करती ज़िन्दगी..!!!"


एक आवारा सा हवा था वो
जाने क्यों आज रुक गया है
हर वक़्त जो शरारतें करता था
जाने क्यूँ आज वो शांत है
महफ़िल में मौजूद तो रहता है
पर किसी और ख्याल में खोया है
बातें तो करता है
पर खुद से गुमसुम सा हो गया है वो
लोग कहते हैं ----
दफ़ना दिया उसने अपनी ख्वाहिशों को
ज़िन्दगी ने उसे खुद का क़ातिल बना दिया है ||
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...