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"हक़...!!!"
तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो तो शायरी में जो मोहब्बत है, उसे ज़िंदा कर दूँ.... हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...
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जब मेरा चेहरा आईने में देखा तो.. अब वो मुझसा नहीं लगता है | पर कुछ जाना पहचाना सा लगता है ... इस शहर में हर शख़्स शायद ऐसा ही दिखता है |...
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उस पीली धूप में जब तुम पीले सलवार में चलती थी पीले दुपट्टे में जब......... तेज़ रौशनी से खुद के चेहरे को छुपाती थी याद है मुझे आज भी...
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वो कहते हैं कि अब वहां विराना होता है पहले जहाँ कभी महफिल सजती थी महखाने से भी ज्यादा जहाँ शोर होता था वहां अब शमशान...