Sunday 8 April 2018

"मतलबी...!!"

खुद को इतनी बार धोखा देते हैं
जाने कैसे वो आईने से नज़र मिलते हैं
खुद को मतलब हुआ तो बात कर ली
कल को कुछ काम नहीं तो मुंह फेर ली
झूठ तो ऐसे जैसे हमें कुछ पता नहीं
ऐसे वो बेरंग चेहरे को झूठ से सजाते हैं
सोचता हूँ मतलबी दुनिया में 
थोड़ा मतलबी हम भी बन जाएँ||
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Friday 2 March 2018

"बिखरे पन्ने..!!!"

ज़िन्दगी
कुछ दिखाती है कुछ छुपाती है 
जाने कितनी कहानियां ये खुद में दोहराती है 
कुछ सुने से कुछ  अनसुने से 
लुभाती है ये कहानी, बुलाती है ये कहानी
एक कहानी हम भी लिख रहे हैं अनजानी सी 
कुछ पन्ने तेरे साथ लिखे, कुछ तेरी याद में 
कुछ पन्ना सब ने पढ़ा, कुछ है अभी भी अनपढ़े से 
कुछ पन्ने बेधड़क पलट  दिए 
कुछ पर ख़त्म हो गयी मेरी स्याही 
कई कहानी ख़त्म हुए , कई अभी भी हैं अधूरी सी 
कुछ पन्नों को लगता है फिर से दोहराऊं 
कुछ पन्नों को लगता है आग से जलाऊं
भुला है कोई हमें , तो किसी को हमने भुला दिया बहुत सारे हैं रिश्ते, जिसने हमें ठुकरा दिया
एक दिन यूँ ही ख़त्म हो जायेगी ज़िन्दगी
बिखर जाएंगे सारे समेटे हुए पन्ने 
कुछ तेरी हाथ में आएंगे, कुछ उड़ जाएंगे
संभाल कर रखना पन्नों को
अगर ज़िक्र हो तेरा उनमे 
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...