Monday, 22 February 2016

"तू...!!"

मैं तुम्हें नहीं पूजता
पर जिसे मैं पूजता हूँ
वो तुम्हें मानती है
मेरे खुद के रहने का घर नहीं
पर तेरे  लिए एक जगह ढूंढता हूँ
क्या करूँ मैं अपनी माँ को मानता हूँ...
       **********

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...