Thursday, 16 March 2017

"ख़ामोश करती ज़िन्दगी..!!!"


एक आवारा सा हवा था वो
जाने क्यों आज रुक गया है
हर वक़्त जो शरारतें करता था
जाने क्यूँ आज वो शांत है
महफ़िल में मौजूद तो रहता है
पर किसी और ख्याल में खोया है
बातें तो करता है
पर खुद से गुमसुम सा हो गया है वो
लोग कहते हैं ----
दफ़ना दिया उसने अपनी ख्वाहिशों को
ज़िन्दगी ने उसे खुद का क़ातिल बना दिया है ||
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...