Wednesday, 21 June 2017

"अकेला..!!!"

ऐसे अकेले हो गया है ये
कि किसी की ख़ुशी में भी
खुद को शामिल नहीं कर पाता
मानो एक अलग सी
दुनिया बसा ली हो इसने
कोई  खोजने वाला भी नहीं है
फिर भी छुप कर कहीं बैठा है
एक कोने में इस वीराने में
जाने किससे डरा हुआ है
जाने क्या ये खोजता है
चाहतें सारी खो गयी इसकी
उमंगें न कोई ज़िंदा हैं
कटता तो एक पल भी नहीं है
फिर भी मानो
लगता है सदियों से इस वीराने में हैं
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Tuesday, 20 June 2017

"पीली धूप और वो ..!!!"


उस पीली धूप में जब तुम
पीले सलवार में चलती थी
पीले दुपट्टे में जब.........
तेज़ रौशनी से खुद के
चेहरे को छुपाती थी
याद है मुझे आज भी
जब उस लम्बी सुनसान काली सड़क पर
तुम अकेले इठलाती हुई
अपने घर को जाया करती थी  ||
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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...