बढ़ती हुई सी ये ज़िन्दगी
और गिरता हुआ वो मकान
बिछड़ता हुआ अपना बचपन
खोती हुई सी ये मासूमियत
जाने क्यों ……
अक्सर, ये बस ख्यालों में आते हैं ………
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और गिरता हुआ वो मकान
बिछड़ता हुआ अपना बचपन
खोती हुई सी ये मासूमियत
जाने क्यों ……
अक्सर, ये बस ख्यालों में आते हैं ………
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Nice lines.... :)
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