"बेबसी...!!!"

आज कोरे काजग में क्यों...
अपने जीवन का कोरापन दिखता है |
बैठा था कुछ लिखने फ़साने जीवन के..
क्यों मेरे आंसुओं से ये गिला हो जाता है ||
हसरतें बहुत हैं उमड़ती मेरे अन्दर--
पर हो गया हूँ मैं बेबस इस तरह कि...
इस ठूंठ दुनिया में ------
जिंदगी एक छांव की तालाश करती है ||
अपनों ने भी ठुकराया ऐसे कि....
अब किसी पर आस होती नहीं है |
दे दो मुझे सहारा एक बैसाखी का...
कि मेरे पैर भी अब लाचार दिखते हैं |||
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