Friday 3 September 2010

"परछाई..!!"

कल रात सपने में वो आई,
उसकी याद जहन में फिर यूँ समाई..
कि दिल में एक उन्स हुआ --
और आखें डब - डबाई !
उसकी अनुपस्थिति में ...
मुझे खाए है ये तन्हाई !!
जाने कहाँ चली गयी है वो,
कि उसकी कोई सन्देश न आई ..
दिल बार - बार दे ये दुहाई,
जाने कब लौट कर आये वो हरजाई !
दिन के उजाले में भी घेरे है ,
मुझे उसकी यादों कि गहराई..!
आखों के सामने आज फिर बनी है ..
उसकी भीगी सी परछाई !!!!
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2 comments:

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...