कितना खुश था मैं माँ
जब मैं तेरे अन्दर था माँ
इस दुनिया से बचाकर कर रखा था तुमने
कितने प्यार से पाला था तुमने
कुछ भी तो नहीं कहा था मैंने
चुपचाप तेरे अन्दर सोया था मैं माँ
तेरे गोद में एक शुकून था
जाने वो अब कहाँ खो गया है माँ
तेरे गर्भ में उस अन्धकार में भी
एक अजब सी शान्ति थी माँ
याद है न ----
इस दुनिया के प्रकाश में आते ही
पहली बार मैं रोया था माँ
वो तुझसे अलग होने का दर्द था माँ
अभी भी तलाशता हूँ इस दुनिया में
तेरे आँचल की छाओं का वो शुकून माँ
पर सर्वत्र अलसाई अन्धकार ही व्यापत है माँ
शायद भगवान् ने तेरी गोद की तरह
दूसरी कोई जगह नहीं बनाई है माँ
सुना है तुझसे जुदा होते ही
खुदा ने मेरी मौत का वक़्त मुकरर किया था
अब तो बस उस वक़्त का इंतज़ार है माँ
जब मैं फिर से तेरे गोद में शमा जाऊं माँ
फिर से वो छाँव और वो शुकून पाऊं माँ
----------*----------
बहुत संवेदनशील सोच ...
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
शुक्रिया .. और मैंने वर्ड वेरिफ़िकतिओन भी हटा दिया है .. :)
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
बहुत सुन्दर और संवेंदंशील कविता ...
ReplyDeleteग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
संवेदनाये जगाते भाव !
ReplyDeleteअभी भी तलाशता हूँ इस दुनिया में
ReplyDeleteतेरे आँचल की छाओं का वो शुकून माँ
पर सर्वत्र अलसाई अन्धकार ही व्यापत है माँ
शायद भगवान् ने तेरी गोद की तरह
दूसरी कोई जगह नहीं बनाई है माँ
हृदयस्पर्शी शब्द .. निशब्द करती कविता
दिल को छू लेने वाले भाव .सुन्दर कविता.
ReplyDeletetouching...
ReplyDeleteVery Nice incomparable
ReplyDeleteFrom
Anand Mohan Pandey
heart toching &very impresive
ReplyDeleteincrediable think wrote in this kavita.
ReplyDeletethis one is d best sir......i dont hv words...
ReplyDeleteI got tears in my eyes. Itni gahrai hai is kavita me ki merepas shabd nahi hai.
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