शहर - अब मैं चलता हूँ
दूर किसी और शहर में
नया आशिआना बसना है
नए मुशाफिर से मिलना है
महफ़िल में दोस्तों की
तेरा जिक्र तो जरुर होगा
तेरी वो हवा, वो खुशबू
यादों में छुएंगी मुझे
तेरे साथ गुज़ारे वो दिन
याद बनाकर रखूँगा मैं
तेरी राहों पर छोड़ी हैं
मैंने अपने कुछ निशाँ
कभी मिटने ना देना
उसे अपने दामन से
जिंदगी ने यदि मौका दिया
तो फिर आऊंगा तेरे पास
मैं इन यादों के पन्नों को पलटने
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बहुत बढ़िया.
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