Tuesday, 10 May 2011

"झूठे चेहरे..!!"



न जाने कितने चेहरे लगा कर रखते हैं लोग
रोज़ एक नया रूप अपना दिखाते हैं लोग 
किसी को पूरी तरह से समझ सको तुम 
इससे पहले ही अक्सर बदल जाते  हैं लोग 

सच के साथ चलना अब भूल चुके हैं लोग
एक झूठ छुपाने को दस और चेहरे लगते हैं लोग 
किसी दुसरे की हालत पर बाण चलाकर
खुश रहना ही अब जानते हैं लोग 

क्यों अपने अहम् पर अहंकार करते हैं लोग 
दस दोस्तों के साथ दस जिंदगी जीते हैं लोग 
कहीं पकडे न जाएँ इस डर से शायद 
फिर एक झूठ बोल जाया करते हैं लोग
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3 comments:

"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...