Wednesday 19 January 2011

"मेरी चांदनी..!!!"

मेरी चांदनी..
तेरे चेहरे की खिलती हंसी देख...,
सुबह  आज  हसीन दिख रही है !

तेरी जुल्फों में फंसा वो पानी का बूँद ,
जैसे ओंस की तरह चमक रही है !

अपनी नज़रों से यूँ न देखो मुझे ,
कि एक अजब सी मदहोसी छा रही है !

तेरे आँचल को तुमने कुछ यूँ लहराया ,
कि बसंती हवा की बयार चल रही है !

अपने कदम संभाल कर तुम चलना ,
वरना तेरी चाल पर हम बेमौत मारे जायेंगे !

आज तेरी तारीफ़ मैंने चाँद से कुछ यूँ की ,
कि वो तेरे दीदार को बेचैन हो गया...!

तुम आज रात पर्दा करके बाहर निकलना ,
नहीं तो चाँद की नज़र 'मेरी चांदनी' को लग जाएगी....!!!!
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4 comments:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  2. vabdana ji aapka bahut bahut aabhar...

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  3. आज चांद से तेरी तारिफ यूं कि

    वोह तेरे दिदार को बैचेन हो गया

    बहुत अच्छा रूमानी ख्याल

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"हक़...!!!"

 तुम जो अगर, मुझ पर प्यार से.... अपना एक हक़ जता दो  तो शायरी में जो मोहब्बत है,  उसे ज़िंदा कर दूँ....  हम तो तेरी याद में ही जी लेंगे ... तु...